UP Panchayat Election: 13 दिन से चुनाव जीतने का सपना देख रहे दावेदारों को झटका, जानिए क्या है अब नई रणनीति
तेरह दिन से जिला पंचायत सदस्य, ब्लॉक प्रमुख और ग्राम प्रधान बनने का सपना देख रहे दावेदारों को हाईकोर्ट के आदेश से बड़ा झटका लगा है। दावेदारों के घरों पर सन्नाटा पसर गया। 2015 के आधार वर्ष पर मानकर आरक्षण तय किया जाएगा। जिपं अध्यक्ष और सदस्य, ब्लॉक प्रमुख-बीडीसी और ग्राम प्रधानों का आरक्षण बदल जाएगा। एक बार फिर दावेदारों की गेंद किस्मत के पाले में पहुंच गई है। फिलहाल पंचायती राज विभाग के अधिकारी शासन की नई गाइडलाइंस का इंतजार कर रहे हैं।
दो मार्च को बरेली में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के आरक्षण का प्रकाशन किया गया था। आरक्षण तय होते ही दावेदारों ने जोड़तोड़ शुरू कर दी थी। सबसे अधिक मारामारी जिला पंचायत सदस्य और ग्राम प्रधानों को लेकर हो रही थी। जिला पंचायत के 60 वार्ड में राजनीतिक दलों के समर्थित दावेदारों ने पोस्टर-होर्डिंग लगाकर प्रचार करना शुरू कर दिया था। गांव-गांव प्रधान पद के दावेदारों ने वोट हासिल करने के लिए दावतें शुरू कर दी थीं। कुछ जगह तो शराब बांटने के मामले भी सामने आए। अब हाईकार्ट ने 1995 की बजाय 2015 को आधार वर्ष मानकर आरक्षण तय करने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट के आदेश के बाद दो मार्च को जारी किया गया आरक्षण शून्य हो गया। अब नए सिरे से पूरी प्रक्रिया तय की जाएगी। अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक सब आरक्षण बदल जाएगा। जिपं अध्यक्ष से लेकर ब्लॉक प्रमुख और ग्राम प्रधानों का आरक्षण में बदलाव होना तय है। वहीं 1001 आपत्ति दाखिल करने वालों को राहत की सांस ली है।
आरक्षण के आधार पर फाइनल कर दिए थे उम्मीदवार
भाजपा और सपा समेत तमाम राजनीतिक दल जिपं सदस्य के उम्मीदवारों को फाइनल करने में लगे हुए थे। आरक्षण के आधार पर दावेदारों से आवेदन लिए थे। बीजेपी और सपा में उम्मीदवार बनने के लिए बड़ी-बड़ी सिफारिशों का दौर चल रहा था। हाईकोर्ट के आदेश से दावेदारों की खुशी हवा हो गई।
ओबीसी महिला हुई थी जिपं अध्यक्ष की सीट
बरेली की जिपं अध्यक्ष की सीट का आरक्षण ओबीसी महिला हुआ था। राजनीतिक पार्टियों ने ताकतवर उम्मीदवार की तलाश शुरू कर दी थी। बीजेपी में सबसे अधिक दावेदार जोर आजमाइश कर रहे थे। धर्मेंद्र कुमार, डीपीआरओ कहते हैं कि हम शासन की नई गाइडलाइंस का इंतजार कर रहे हैं। नए सिरे से आरक्षण तय किया जाना है। गाइडलाइंस आने के बाद प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
सपनों में बन गए थे प्रधान
दो मार्च को आरक्षण का प्रकाशन होने के बाद गांव-गांव दावेदार सपनों में प्रधान बन गए थे। वोटरों को लुभाने का खेल भी शुरू हो गया था। विरोधियों की घेराबंदी के लिए शिकायतें की जा रहीं थीं। अब 1193 ग्राम पंचायतों का नए सिरे से आरक्षण तय किया जाएगा।
Comments (0)