बिहार की अजब-गजब राजनीति, इफ्तार के बहाने सियासी खेल

क्या बिहार की सियासत एक बार बदलने वाली है? क्या बिहार एनडीए में कुछ ठीक नहीं चल रहा है? क्या बिहार में आरजेडी और जेडीयू की जोड़ी एक बार फिर जमने वाली है? क्या बिहार में लालू, नीतीश और जीतन राम मांझी एक मंच पर आने वाले हैं? इफ्तार की आड़ में बिहार में जो कुछ हो रहा है, उसे देखकर तो यही लगता है कि बिहार की राजनीति एक बार फिर से देश को चौंकाने वाली है। बिहार में इफ्तार की दावत के बहाने सियासत लगातार जारी है।

बिहार की अजब-गजब राजनीति, इफ्तार के बहाने सियासी खेल
Pic of Jeetan Ram Manjhi with Nitish kumar in Iftar party
बिहार की अजब-गजब राजनीति, इफ्तार के बहाने सियासी खेल


क्या बिहार की सियासत एक बार बदलने वाली है? क्या बिहार एनडीए में कुछ ठीक नहीं चल रहा है? क्या बिहार में आरजेडी और जेडीयू की जोड़ी एक बार फिर जमने वाली है? क्या बिहार में लालू, नीतीश और जीतन राम मांझी एक मंच पर आने वाले हैं? ये तमाम सवाल इसलिए क्योंकि इफ्तार की आड़ में बिहार में जो कुछ हो रहा है, उसे देखकर तो यही लगता है कि बिहार की राजनीति एक बार फिर से देश को चौंकाने वाली है। बिहार में इफ्तार की दावत के बहाने सियासत लगातार जारी है। 

दरअसल, लोकसभा चुनावों में तीन सीटों पर लड़कर बुरी तरह से पराजित होने वाले हम (सेकुलर) के अध्यक्ष जीतन राम मांझी का मन एक बार फिर डोलने लगा है। पराजय ने मांझी के अस्तित्व पर संकट खड़ा कर दिया है। इससे निजात पाने के लिए वो नए सिरे से मुस्तैद होते नजर आने लगे हैं। इन कयासों को तब और बल मिलता नजर आया जब सोमवार को उन्होंने पार्टी की ओर से अपने आवास पर इफ्तार की दावत दी और उसमें महागठबंधन के तमाम सहयोगियों के साथ ही प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी निमंत्रण दिया। 

नीतीश ने मांझी को गले लगाया

जीतन राम मांझी के बुलावे को नीतीश कुमार ने स्वीकार किया और मांझी के आवास पर आयोजित दावत में पहुंच गए। यहां उन्होंने मांझी को गले लगाया। बाद में मांझी ने यह कहकर लोगों को चौंका दिया कि नीतीश कुमार से उन्हें कोई शिकायत नहीं। उस वक्त की राजनीतिक परिस्थिति में जो निर्णय हुए उन्हें याद रखने का कोई मतलब नहीं। उस बात को चार वर्ष बीत गए। इतने दिनों तक कहां कोई बात को पकड़ कर रखता है। जीतन राम मांझी ने कहा कि राजनीति सम्भावनाओं का खेल है। गठबंधन में सबको साथ आना होगा। गठबंधन के साथ बैठकर नीतीश पर विचार किया जाएगा। मांझी ने कहा कि महागठबंधन की बैठक में तय करेंगे कि बीजेपी को हटाने में नीतीश कुमार कितनी मदद कर सकते है। जरूरत पड़ी तो नीतीश कुमार से बात कर सकते हैं। बीजेपी को हराने के लिए सबको साथ आना होगा।

राबड़ी का भी सकारात्मक रुख

इस बीच जीतन मांझी की इफ्तार पार्टी में शामिल हुईं राबड़ी देवी का भी नीतीश कुमार की वापसी को लेकर सकारात्मक रुख दिखा। नीतीश कुमार के गठबंधन में वापस आने के सवाल पर राबड़ी देवी ने कहा कि नीतीश कुमार का वापस आना, गठबंधन तय करेगा। महागठबंधन मिलकर नीतीश के आने पर विचार करेगा। अगर नीतीश कुमार महागठबंधन में आना चाहते हैं, तो उन्हें कोई एतराज नहीं होगा। 

गिरिराज सिंह ने कसा तंज

बात जब यहां तक पहुंच गई, तो भला बीजेपी के नेता चुप कैसे बैठते, लिहाजा, केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह ने नीतीश कुमार पर इफ्तार पार्टी को लेकर तंज कसा। चार तस्वीर ट्वीट कर उन्होंने कहा कि नवरात्रि पर फलहार का आयोजन करते तो और सुंदर-सुंदर तस्वीर आती। गिरिराज सिंह ने जो तस्वीरें ट्वीट की हैं, उनमें नीतीश कुमार, केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान, जीतनराम मांझी और बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी भी शामिल हैं। गिरिराज सिंह ने ट्वीटर के माध्यम से कहा कि कितनी खूबसूरत तस्वीर होती जब इतनी ही चाहत से नवरात्रि पर फलाहार का आयोजन करते और सुंदर-सुदंर फटो आते? अपने कर्म धर्म में हम पिछड़ क्यों जाते और दिखावा में आगे रहते हैं?।

नीतीश ने किया मांझी का स्वागत

इससे पहले मांझी की इफ्तार पार्टी में जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहुंचे तो उन्होंने आगे बढ़कर मांझी को गले लगा लिया। इस दौरान मांझी ने भी आगे बढ़कर नीतीश कुमार को टोपी पहनाई। रविवार को जेडीयू की इफ्तार पार्टी में जीतन राम मांझी अचानक पहुंच गए थे। पटना के हज भवन में आयोजित इफ्तार पार्टी में जैसे ही मांझी पहुंचे नीतीश कुमार ने उनके साथ गर्मजोशी से हाथ मिलाया और उनका स्वागत किया। लंबे अरसे बाद दोनों नेताओं की इस अंदाज में हुई मुलाकात के राजनीतिक मायने निकाले जाने लगे हैं।

"पराजय के साथ ही पलायन कर जाते हैं मांझी"

जीतन राम मांझी को जानने वाले मानते हैं कि मांझी पराजय के साथ ही पलायन कर जाते हैं। पहले जेडीयू, इसके बाद एनडीए से अलग होने के बाद चार वर्ष में वे अपनी अलग राजनीतिक हस्ती नहीं बना सके हैं। 2015 के विधान चुनाव में 21 सीटों पर लड़कर महज एक सीट जीत सके और 2019 के लोकसभा चुनाव में तो गठबंधन से मिली तीन सीटों में से एक भी सीट पर जीत के करीब नहीं पहुंच सके। यहां तक की मांझी खुद अपना चुनाव तक हार गए। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि मांझी का अगला कदम क्या होता है?