किसान विरोधी बिल वापस लो... राज्यसभा के बाद लोकसभा में भी विपक्षी सांसदों की नारेबाजी, सदन की कार्यवाही स्थगित
सभापति ने कहा कि किसानों के मुद्दे पर सदस्य अपनी बात कल राष्ट्रपति अभिभाषण पर चर्चा के दौरान रख सकते हैं। उन्होंने सदस्यों से संक्षिप्त में अपनी बात कहने को कहा। सुखेंदु शेखर राय, करीम, विनय विश्वम, शिवा के अलावा राजद के मनोज झा, बसपा के सतीश चंद्र मिश्रा, सपा के रामगोपाल यादव आदि सदस्यों ने किसानों के आंदोलन का जिक्र किया और इस पर चर्चा कराने की मांग की।
कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे विपक्षी दलों के सदस्यों का हंगामा लोकसभा की कार्यवाही मंगलवार शाम दोबारा शुरू होने के दौरान भी जारी रहा। लोकसभा में शाम पांच बजे जब फिर से कार्यवाही शुरू हुई, तब भी विपक्षी सांसदों ने नारेबाजी करनी जारी रखी। सांसद कानूनों को किसान विरोधी बताते हुए वापस लेने की मांग कर रहे थे। हालांकि, बाद में फिर से सदन को शाम सात बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
राज्यसभा में भी कांग्रेस के नेतृत्व में विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन के मुद्दे पर सदन में तुरंत चर्चा कराने की मांग करते हुए हंगामा किया जिसकी वजह से उच्च सदन की बैठक तीन बार के स्थगन के बाद अंतत: पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदस्यों से कहा कि वे एक दिन बाद, बुधवार को राष्ट्रपति अभिभाषण पर होने वाली चर्चा में अपनी बात रख सकते हैं।
इससे पहले शून्यकाल शुरू होने पर सभापति ने कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा के लिए उन्हें नियम 267 के तहत नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर राय, द्रमुक के तिरूचि शिवा, वाम सदस्य ई करीम और विनय विश्वम सहित कई सदस्यों के नोटिस मिले हैं। इस नियम के तहत सदन का सामान्य कामकाज स्थगित कर जरूरी मुद्दे पर चर्चा की जाती है।
सभापति ने कहा कि किसानों के मुद्दे पर सदस्य अपनी बात कल राष्ट्रपति अभिभाषण पर चर्चा के दौरान रख सकते हैं। उन्होंने सदस्यों से संक्षिप्त में अपनी बात कहने को कहा। सुखेंदु शेखर राय, करीम, विनय विश्वम, शिवा के अलावा राजद के मनोज झा, बसपा के सतीश चंद्र मिश्रा, सपा के रामगोपाल यादव आदि सदस्यों ने किसानों के आंदोलन का जिक्र किया और इस पर चर्चा कराने की मांग की।
वहीं, उपसभापति हरिवंश ने हंगामा कर रहे सदस्यों से अपनी सीटों पर जाने तथा कोविड-19 संबधी दिशानिर्देशों (प्रोटोकॉल) का पालन करने की अपील की। उन्होंने सदस्यों से एक बार फिर सदन सुचारू रूप से चलने देने की अपील की और आसन के समीप आए सदस्यों से अपनी सीटों पर जाने को कहा। लेकिन सदस्यों का हंगामा जारी रहा और उपसभापति ने बैठक शुरू होने के कुछ क्षणों के अंदर ही कार्यवाही दोपहर 12:30 बजे तक स्थगित कर दी। तीन बार के स्थगन के बाद उच्च सदन की बैठक फिर शुरू होने पर भी विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी रहा और वे नारेबाजी करने लगे।
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