छात्रा का धर्मांतरण केस: सीबीआई जांच को इज्जत का सवाल न बनाए तमिलनाडु सरकार, SC ने लगाई फटकार
तमिलनाडु में धर्मांतरण केस में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है। अदालत ने तंजावुर की 12वीं में पढ़ने वाली लड़की की आत्महत्या के मामले की सीबीआई जांच के खिलाफ दायर अर्जी को खारिज कर दिया। मद्रास हाई कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई जांच का आदेश दिया था, जिसे तमिलनाडु पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
तमिलनाडु में धर्मांतरण केस में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है। अदालत ने तंजावुर की 12वीं में पढ़ने वाली लड़की की आत्महत्या के मामले की सीबीआई जांच के खिलाफ दायर अर्जी को खारिज कर दिया। मद्रास हाई कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई जांच का आदेश दिया था, जिसे तमिलनाडु पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। अदालत ने कहा कि प्रदेश सरकार को हाई कोर्ट के फैसले की खिलाफत कर इस मामले को प्रतिष्ठा का विषय नहीं बनाना चाहिए। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने तमिलनाडु पुलिस को कहा कि वह मामले के सभी सबूतों को सीबीआई को सौंप दे। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया कि सीबीआई को जबरन धर्मांतरण के मुद्दे पर बात करनी चाहिए।
तंजावुर में क्या हुआ था
तंजावुर में 12वीं क्लास की स्टूडेंट ने जहर खा लिया था, जिसे 9 जनवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। छात्रा की 19 जनवरी को मौत हो गई थी। आरोप था कि छात्रा से मिशनरी बोर्डिंग स्कूल सेंट माइकल्स गर्ल्स होम में जबरन कमरों की सफाई कराई जाती थी। इसके अलावा उस पर ईसाई धर्म अपनाने का भी दबाव था। इससे तंग आकर लड़की ने जहर खाकर जान देने की कोशिश की थी। तत्काल उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां होश में आने पर उसने डॉक्टरों को उत्पीड़न की बात बताई थी। पुलिस ने भी उससे पूछताछ की थी और उसके आधार पर वॉर्डन को अरेस्ट कर लिया था। हालांकि तमाम कोशिशों के बाद भी छात्रा की 19 जनवरी को मौत हो गई थी।
जांच ने ले लिया है राजनीतिक रंग
कुछ समय बाद एक वीडियो भी सामने आया था, जिसमें लड़की यह कहती दिखती है कि उसे बुरी तरह डांटा जाता है। इसके हॉस्टल के कमरों की सफाई कराई जाती है। यही नहीं छात्रा का आरोप है कि उसे ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। जबरन धर्मांतरण के आरोप सामने आने के बाद मामला बढ़ गया था और राजनीतिक रंग ले लिया था। इस पर डीएमके ने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा था कि वह आत्महत्या के मामले को सांप्रदायिक रंग देना चाहती है। डीएमके और उसके सहयोगियों का कहना है कि भाजपा हेट प्रोपेगेंडा चलाने की कोशिश कर रही है।
पीड़िता के पिता ने किया था हाई कोर्ट का रुख
इस मामले ने तब और तूल पकड़ा, जब हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई। पीड़िता के पिता का कहना था कि इस मामले को जांच के लिए सीबीआई को सौंपा जाना चाहिए। इस पर 31 जनवरी को हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जाए। इसी आदेश के खिलाफ तमिलनाडु पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
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