शाहीन बाग प्रदर्शन : अभी नहीं खुलेगी शाहीनबाग की सड़क,सुप्रीम कोर्ट ने अमित साहनी की याचिका पर सुनवाई टाली, 10 फरवरी को होगी अगली सुनवाई
दिल्ली के शाहीन बाग में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ चल रहे धरना-प्रदर्शन से फिलहाल राहत मिलती नहीं दिख रही है। आम लोगों को अभी कम से कम 10 फरवरी तक का इंतजार करना पड़ेगा। क्योंकि धरना-प्रदर्शन के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाल दी है। प्रदर्शनकारियों को सड़क से हटाने की मांग वाली याचिका पर अब सुप्रीम कोर्ट 10 फरवरी को सुनवाई करेगी।
दिल्ली के शाहीन बाग में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ चल रहे धरना-प्रदर्शन से फिलहाल राहत मिलती नहीं दिख रही है। आम लोगों को अभी कम से कम 10 फरवरी तक का इंतजार करना पड़ेगा। क्योंकि धरना-प्रदर्शन के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाल दी है। प्रदर्शनकारियों को सड़क से हटाने की मांग वाली याचिका पर अब सुप्रीम कोर्ट 10 फरवरी को सुनवाई करेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कल होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव की वजह से हम इस मामले की सुनवाई आज नहीं कर रहे हैं। हम वहां की समस्या समझ सकते हैं। सीएए के खिलाफ शाहीन बाग में हजारों लोग साल 2019 के दिसंबर महीने से सड़क संख्यार 13 ए (मथुरा रोड से कालिंदी कुंज) पर बैठे हुए हैं। यह मुख्य सड़क दिल्ली। को नोएडा और फरीदाबाद से जोड़ती है और रोजाना लाखों लोग आवाजाही में इस सड़क का इस्तेमाल करते हैं।
दरअसल, याचिकाकर्ता, वकील और सामाजिक कार्यकर्ता अमित साहनी की तरफ से शाहीन बाग के बंद पड़े रास्तों को खुलवाने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता ने यह भी मांग की है कि इस पूरे मसले में हिंसा को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज या हाईकोर्ट के किसी मौजूदा जज द्वारा निगरानी की जाए। यह मामला सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच के पास है।
गौरतलब है कि अमित साहनी की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट में बीते 13 जनवरी को जनहित याचिका दायर कर यह मांग की गई थी कि शाहीनबाग में सड़क पर बैठे प्रदर्शनकारियों को हटाया जाए,क्योंंकि इससे आम लोगों को दिक्कातों का सामना करना पड़ रहा है। इससे न केवल लोग घंटों जाम में फंसे रहते हैं, बल्कि ईंधन की बर्बादी हो रही है और प्रदूषण भी लगातार बढ़ रहा है।
अमित साहनी की याचिका पर हाईकोर्ट ने दिल्ली़ पुलिस को निर्देश दिया कि वह व्याापक जनहित को ध्यांन में रखते हुए और कानून व्यवस्था को भी कायम रखते हुए उपयुक्त कार्यवाई करे। हाईकोर्ट ने निर्देश दिए कि कानून व्यकवस्था कायम करना पुलिस का क्षेत्राधिकार है और कानून व्ययवस्था कायम रखते हुए वह इस संबंध में कदम उठाए। इसके बाद दिल्लीा पुलिस ने प्रदर्शनकारियों से सड़क से हटने की अपील की लेकिन वह नहीं माने और लगातार डटे रहे।
प्रदर्शकारियों के रवैये को देखते हुए अमित साहनी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और स्पेशल लीव पिटीशन दायर की। इस याचिका में मुख्य रूप से कहा गया है कि किसी भी नागरिक का प्रदर्शन करना उसका मौलिक अधिकार है और लोकतांत्रिक व्यखवस्था में इसकी मनाही नहीं की जा सकती,लेकिन प्रदर्शनकारियों को यह अधिकार बिल्कुल नहीं है कि वो अपने मन मुताबिक जगह पर प्रदर्शन करें, जिससे लाखों लोगों का जनजीवन प्रभावित हो।
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