सरदार पटेल की पुण्यतिथि: जब वल्लभभाई बोले- जिन्ना जब जूनागढ़ ले सकता है तो हम कश्मीर क्यों नहीं
भारत के बिस्मार्क और लौह पुरुष कहे जाने वाले सरदार पटेल 565 रियासतों के विलय के लिए जाने जाते हैं। इसी को लेकर अकसर यह भी कहा जाता है कि यदि वह कश्मीर के मुद्दे को भी हैंडल करते तो शायद आज जो स्थिति वह नहीं होती।
देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की आज पुण्यतिथि है। भारत के बिस्मार्क और लौह पुरुष कहे जाने वाले सरदार पटेल 565 रियासतों के विलय के लिए जाने जाते हैं। इसी को लेकर अकसर यह भी कहा जाता है कि यदि वह कश्मीर के मुद्दे को भी हैंडल करते तो शायद आज जो स्थिति वह नहीं होती। खासतौर पर भाजपा और पीएम नरेंद्र मोदी अकसर लौह पुरुष की विरासत से खुद को जोड़ते रहे हैं और उनका जिक्र कर पहले पीएम जवाहर लाल नेहरू को कश्मीर समस्या के लिए जिम्मेदार भी ठहराया जाता रहा है। हालांकि कश्मीर के मसले को लेकर सरदार पटेल की क्या राय थी। इसका जिक्र कम ही होता है।
महात्मा गांधी को थी कश्मीर के भारत में शामिल होने की उम्मीद: सरदार वल्लभभाई पटेल के राजनीतिक सचिव रहे वी. शंकर अपनी पुस्तक 'सरदार पटेल के साथ मेरे संस्मरण' में लिखते हैं, 'महात्मा गांधी को यह उम्मीद थी कि जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा बनेगा और टू-नेशन थ्योरी को खारिज कर देगा।' वह लिखते हैं कि सरदार वल्लभभाई पटेल ने यह फैसला पूरी तरह से जम्मू-कश्मीर के शासक महाराजा हरि सिंह पर छोड़ा था। सरदार की राय थी, 'यदि महाराजा यह समझते हैं कि उनका और उनके राज्य का हित पाकिस्तान के साथ जाने में हैं तो फिर वह उनके रास्ते में नहीं आएंगे।'
सरदार के हवाले से माउंटबेटन ने हरि सिंह से क्या कहा था: माउंटबेटन के राजीनीतिक सलाहकार रहे वीपी मेनन की भी एक पुस्तक रियासतों के भारत में विलय को लेकर है। इंटीग्रेशन ऑफ इंडियन स्टेट्स शीर्षक से लिखी अपनी पुस्तक में मेनन ने तत्कालीन घटनाक्रम की जानकारी दी है। वह लिखते हैं कि 18 से 23 जून, 1947 के दौरान लॉर्ड माउंटबेटन कश्मीर के दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने महाराजा हरि सिंह से कहा, 'यदि कश्मीर पाकिस्तान के साथ जाता है तो फिर भारत की सरकार से उसके रिश्ते कमजोर नहीं होंगे।' यही नहीं माउंटबेटन ने कहा था कि इस बारे में उन्हें सरदार पटेल की ओर से भी पूरा भरोसा दिलाया गया है।
जूनागढ़ पर जिन्ना के रवैये से बदल गई थी पटेल की राय: इतिहासकार राजमोहन गांधी ने सरदार पटेल पर लिखी अपनी पुस्तक में कहा है कि देश के पहले गृह मंत्री कश्मीर को लेकर कोई राय नहीं रखते थे। उन्होंने देश के पहले डिफेंस मिनिस्टर बलदेव सिंह से कहा था कि यदि कश्मीर पाकिस्तान के साथ जाना चाहता है तो फिर हम उसे स्वीकार करेंगे। हालांकि उनकी राय तब बदल गई थी, जब उन्हें पता लगा कि पाकिस्तान जूनागढ़ को लेने को तैयार है। इसके बाद उनकी राय कश्मीर पूरी तरह आक्रामक हो गई थी। सरदार पटेल का कहना था, 'यदि जिन्ना हिंदू बहुल आबादी वाले ऐसे राज्य को शामिल करने को तैयार हैं, जहां का शासक मुस्लिम है तो फिर मुस्लिम बहुल राज्य यानी कश्मीर को सरदार क्यों नहीं विलय करा सकते, जिसका शासक हिंदू है।'
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