निर्भया मामला : दोषी अक्षय ने दोबारा लगाई दया याचिका,कहा-पहली याचिका में नहीं थे सभी तथ्य, राष्ट्रपति खारिज कर चुके हैं पहली याचिका
निर्भया दुष्कर्म और हत्या मामले में दोषी अक्षय ने फांसी से बचने के लिए एक और नया दांव चला है। फांसी के ठीक 3 दिन पहले उसने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से जीवनदान की गुहार लगाई है। अक्षय की ओर से राष्ट्रपति के पास दोबारा लगाई गई दया याचिका में उसने दावा किया है कि पहले दायर की गई दया याचिका में सभी तथ्य नहीं थे। इससे पहले एक बार राष्ट्रपति अक्षय की दया याचिका खारिज कर चुके हैं।
निर्भया दुष्कर्म और हत्या मामले में दोषी अक्षय ने फांसी से बचने के लिए एक और नया दांव चला है। फांसी के ठीक 3 दिन पहले उसने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से जीवनदान की गुहार लगाई है। अक्षय की ओर से राष्ट्रपति के पास दोबारा लगाई गई दया याचिका में उसने दावा किया है कि पहले दायर की गई दया याचिका में सभी तथ्य नहीं थे। इससे पहले एक बार राष्ट्रपति अक्षय की दया याचिका खारिज कर चुके हैं।
अक्षय के अलावा निर्भया के एक अन्य दोषी पवन कुमार ने भी शुक्रवार को फांसी से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर की है। उसने अपनी क्यूरेटिव पिटीशन में मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने की मांग की है। पवन कुमार के वकील एपी सिंह ने दलील दी है कि अपराध के समय पवन कुमार नाबालिग था और मौत की सजा उसे नहीं दी जानी चाहिए।
दोषी पवन गुप्ता की क्यूरेटिव याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार यानी 2 मार्च की सुबह 10 बजकर 25 मिनट पर सुनवाई करेगा। इस मामले में जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस नरीमन, जस्टिस भानुमति और जस्टिस अशोक भूषण चैंबर में सुनवाई करेंगे। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट दोषी अक्षय, विनय और मुकेश की क्यूरेटिव पिटीशन खारिज कर चुका है।
ज्ञात हो कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी इन तीनों की दया याचिका को एक बार खारिज कर चुके हैं। हालांकि,निर्भया के दोषी पवन ने अभी दया याचिका नहीं लगाई है। निर्भया के दोषियों को फांसी देने के लिए तीसरी बार डेथ वारंट जारी किया गया है। इससे पहले दो बार फांसी की सजा टाली जा चुकी है।
निर्भया के दोषियों को तीन मार्च की सुबह 6 बजे फांसी देने का डेथ वारंट जारी किया जा चुका है। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने नया डेथ वारंट जारी किए जाने की मांग वाली याचिका पर यह आदेश दिया था।
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