आप सीआरपीएफ की इस महिला आरक्षी को सुनिए,बड़े-बड़े वक्ताओं को भूल जाएंगे!
भारत तिब्बत सीमा पुलिस और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की ओर से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो ऑडिटोरियम हॉल में आयोजित प्रतियोगिता में सीआरपीएफ की महिला आरक्षी खुशबू चौहान ने आतंकवादियों, उग्रवादियों और देशद्रोह की बात करनेवालों पर जमकर निशाना साधा। खुशबू ने सरकार और राजनेताओं की कार्यशैली पर जमकर कुठाराघात किया। उन्होंने आतंकवादी अफजल गुरु और जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार को भी नहीं छोड़ा।
आपको कभी अंतर्राष्ट्रीय या राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में शामिल होने का मौका मिला है? क्या हर साल 10 दिसंबर को मनाए जाने वाले मानवाधिकार दिवस पर आपने किसी वक्ता या प्रवक्ता का भाषण सुना है? क्या आपने कभी मानवाधिकार आयोग की ओर से आयोजित वाद-विवाद प्रतियोगिता में भाषण दिया है? क्या बात-बात पर मानवाधिकार नाम पर दुकानदारी करनोवालों की धज्जियां उड़ते आपने देखी और सुनी है? नहीं तो आज हम आपको एक ऐसी महिला से मिलवाने जा रहे हैं,जिसने बात-बात पर मानवाधिकार की दुहाई देनेवालों की पोल खोलकर रख दी है। मानवाधिकार के नाम पर गुनाहगारों की पैरवी करने वालों की इसने घज्जियां उड़ा कर रख दी है।
हम बात कर रहे हैं केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल में बतौर आरक्षी काम कर रहीं खुशबू चौहान की। इस महिला आरक्षी ने 27 सितंबर को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल वाद-विवाद प्रतियोगिता 2019 के दौरान दिए अपने भाषण से सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया। खुशबू चौहान के ओज भरे भाषण ने देश और समाज को सोचने पर मजबूर कर दिया है। खुशबू का भाषण वायरल हो गया है। लोग इसे न सिर्फ गौर से सुन रहे हैं, देख रहे हैं, बल्कि शाबाशी भी दे रहे हैं।
दरअसल, भारत तिब्बत सीमा पुलिस और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की ओर से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो ऑडिटोरियम हॉल में आयोजित प्रतियोगिता में खुशबू चौहान ने आतंकवादियों, उग्रवादियों और देशद्रोह की बात करनेवालों पर जमकर निशाना साधा। खुशबू ने सरकार और राजनेताओं की कार्यशैली पर जमकर कुठाराघात किया। उन्होंने आतंकवादी अफजल गुरु और जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार को भी नहीं छोड़ा। खुशबू चौहान ने कविता के माध्यम कहा’ उस घर में घुसकर मारेंगे जिस घर से अफजल निकलेगा, वो कोख नहीं पलने देंगे जिस कोख से अफजल निकलेगा’।
‘मानवाधिकारों का अनुपालन करते हुए देश में आतंकवाद एवं उग्रवाद के प्रभावी तरीके से निपटा जा सकता है’ विषय पर आयोजित इस डीबेट कम्पटिशन में अपनी बातों को रखते हुए खुशबू चौहान ने कहा कि आज कल हमारे देश की आन-बान और शान तिरंगा भी पूछ रही है कि आखिर देश में ऐसा क्या हो गया है कि हमें फहराने में कम और दफनाने में ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है।
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