जानिए, बसंत पंचमी के पावन पर्व पर विद्या की देवी सरस्वती का कैसे करें पूजन कि विद्यार्थियों की संपूर्ण मनोकामनाएं हो जाएं पूर्ण?
बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से विद्यार्थियों को बुद्धि और विद्या का वरदान प्राप्त होता है। बसंत पंचमी के त्योहार पर लोग पीले वस्त्र धारण करते हैं और पीले रंग के फूलों से मां सरस्वती की पूजन करते हैं। हालांकि पीले के साथ ही सफेद रंग का ही उतना ही महत्व है। बसंत पंचमी के दिन से ही बसंत ऋतु की शुरुआत मानी जाती है।
भारत वर्ष में बसंत पंचमी का गहन महत्व है। यह हिंदू धर्म का महान पर्व है। बसंत पंचमी का पावन पर्व अपने आप में कई मनोहारी प्राकृतिक परिवर्तनों को संजोए हुए है। बसंत पंचमी पर जहां ऋतु परिवर्तन होता है। वहीं, धर्मपरायण लोग इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की आराधना करते हैं। बसंत पंचमी के देश-विदेश में मां महासरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। छात्र, छात्राओं, शिक्षकों, विद्या, लेखन, साहित्य एवं कला के क्षेत्र से जुड़े लोग मां सरस्वती की संपूर्ण विधि-विधान के साथ पूजा, अर्चना, उपासना एवं आराधना करते हैं।
मां सरस्वती देती हैं विद्या का वरदान
बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से विद्यार्थियों को बुद्धि और विद्या का वरदान प्राप्त होता है। बसंत पंचमी के त्योहार पर लोग पीले वस्त्र धारण करते हैं और पीले रंग के फूलों से मां सरस्वती की पूजन करते हैं। हालांकि पीले के साथ ही सफेद रंग का ही उतना ही महत्व है। बसंत पंचमी के दिन से ही बसंत ऋतु की शुरुआत मानी जाती है।
30 जनवरी को ही मनाएं बसंत पंचमी
बसंत पंचमी को लेकर इस वर्ष तिथियों को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है, लेकिन उदयातिथि होने के कारण बसंत पंचमी 30 जनवरी को मनाना ही श्रेष्ठ रहेगा। माघ शुक्ल पंचमी को अनंत शालिनी मां सरस्वती के रूप में भगवान श्री कृष्ण के विभिन्न अंगूर से प्रकट हुई थीं। मां सरस्वती विद्या बुद्धि ज्ञान तथा वाणी की अधिष्ठात्री देवी है, साथ ही कथा शास्त्र ज्ञान देने वाली हैं। भगवती सरस्वती जी उपासना काली के रूप में करके ही कविकुलगुरु कालिदास ने ख्याति प्राप्त की थी। महर्षि वाल्मीकि, व्यास, वशिष्ठ, विश्वामित्र आदि ऋषियों ने भी मां सरस्वती की साधना करके ही पूजनीय और विशेष श्रद्धा के पात्र बने हैं।
बसंत पंचमी पर और क्या करें?
बसंत पंचमी के दिन सुबह उठकर नित्यकर्म से निवृत्त होकर कलश (घट) स्थापित कर उसपर सरस्वती विग्रह स्थापित करें। उसके पास मां सरस्वती का आह्वान करें और ''ऊं सरस्वत्य नम:'' मंत्र का जाप 108 बार जाप करें। माना जाता है कि ऐसा करने से निश्चित रूप से विद्यार्थियों पर मां सरस्वती की विशेष कृपा होगी। पूजा-अर्चना के समय मां सरस्वती को सफेद वस्तु जैसे दूध, दही, मक्खन, सफेद तिल के लड्डू, सफेद चंदन, सफेद फूल, सफेद वस्त्र, नारियल आदी अर्पित करें। तत्पश्चात इसी प्रसाद को श्रद्धालुओं के बीच वितरित करें। जिन विद्यार्थियों का मन पढ़ाई-लिखाई में नहीं लगता है, उनके लिए पूजा की यह विधि अत्यंत शुभ फलदायी है।
ये भी करें उपाय
बसंत पंचमी के दिन बच्चों से काले रंग की पट्टी और चाक का पूजन करवाएं। बहुत छोटे बच्चों से चावल से भरी थाली पर अंगुली से इस दिन 3 में से कोई एक अक्षर लिखवाएं। इस दिन सरस्वती स्वरूपा कमल और पुस्तक का पूजन करना चाहिए। इसके बाद सरस्वती के मूल मंत्र श्री ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा से देवी का पूजन और स्मरण करें। इसके साथ ही जो लोग अपने बच्चे को उच्च शिक्षा में सफल होता देखना चाहते हैं, वे बसंत पंचमी वाले दिन बच्चे के हाथ से किसी ब्राह्मण को वेदशास्त्र का दान करवाएं।
अन्न प्राशन संस्कार भी करें पूर्ण
बसंत पंचमी के दिन 6 माह तक के बच्चों को पहली बार अन्न चखाने की भी परंपरा निभाई जाती है। इसमें बच्चे को पहली बार अन्न खिलाया जाता है, जिसे अन्न प्राशन संस्कार कहा जाता है। इस दिन दूध पीते बच्चे को नए कपड़े पहनाकर, चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर और उस पर बच्चे को बैठाकर मां सरस्वती की आराधना करके चांदी के चम्मच से खीर खिलाएं। बच्चे को जीभ पर ऐं, श्री अथवा ऊँ लिखें।
बच्चों को अक्षर अभ्यास भी कराएं
बसंत पंचमी के पावन पर्व पर छोटे बच्चों को अक्षर अभ्यास करवाने से वह कुशाग्र बुद्धि का होता है। इस दिन माता-पिता अपने बच्चों को गोद में चांदी या अनार की कलम से शहद से बच्चे की जीभ पर ऐं, श्री या ऊँ लिखे। इसके बाद मां सरस्वती का पूजन करें।
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