JNU हिंसा : दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने शुरु की जांच,फेस रीकॉग्निशन टेक्निक का कर रही है इस्तेमाल,नकाबपोश हमलावरों का था अपना कोड वर्ड
दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने जेएनयू हिंसा मामले की जांच शुरु कर दी है। मंगलवार को क्राइम ब्रांच की टीम जेएनयू पहुंची और लोगों से पूछताछ की। दिल्ली पुलिस हमला करने वाले नकाबपोश गुंडों को पहचानने के लिए चेहरा पहचान तकनीक यानी फेस रीकॉग्निशन टेक्निक का इस्तेामाल कर रही है।
दिल्ली पुलिस की शुरुआती जांच रिपोर्ट से बड़े खुलासे भी हो रहे हैं। पुलिस की जांच रिपोर्ट में लेफ्ट और एबीवीपी कार्यकर्ता शामिल थे और दोनों पक्षों ने अपने चेहरे ढंके हुए थे। पुलिस के मुताबिक हिंसा के पूर्व कुछ वॉट्स एप ग्रुप बनाए गए और बदला लेने की प्लॉनिंग हुई। फिर बाहर से नकाबपोश लोग आए। उनको कोड वर्ड दिया गया,जिसके जरिए हमलवार अपने लोगों की पहचान कर पाएं और उन्हें न पीटें।
दरअसल, हमले के वक्त अंधेरा था। कौन 'राइट' और कौन 'लेफ्ट' वाला है उसकी पहचान करना मुश्किल था। इसलिए कोड वर्ड के जरिए हमलावरों ने किसे मारना है, किसे नहीं मारना है उसे पहचाना। पुलिस जांच में इस बात का भी इशारा भी मिल रहा है कि कुछ बाहरी लोग भी हिंसा में शामिल थे।
पुलिस ने अज्ञात हमलावरों के खिलाफ मामला तो दर्ज कर लिया है। लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। हालांकि साजिश-हिंसा के लिए कोड वर्ड और व्हाटसएप चैट को लेकर जांच में कुछ की पहचान हो गई है और गिरफ्तारी जल्द मुमकिन है।
दरअसल,जेएनयू में एबीवीपी और लेफ्ट विंग के छात्रों के बीच पिछले 2-3 दिनों से तनाव चल रहा था। लेकिन जब लेफ्ट विंग के छात्रों ने रजिस्ट्रेशन के सर्वर को डैमेज किया,तो तनाव और ज्यादा बढ़ गया। उसके बाद छात्रों के बीच झगड़ा हुआ। पेरियार होस्टल पर मामला बढ़ता चला गया। अंदर करीब 10 पुलिसकर्मी सादा वर्दी में थे। उनके साथ भी हाथापाई हुई। इसकी पीसीआर कॉल भी हुई थी।
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