केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की समाप्त होने वाली है राजनीतिक पारी या मिलने वाली है कोई बड़ी जिम्मेदारी?
गिरिराज सिंह ने कहा कि उनकी राजनीतिक पारी अब खत्म होने वाली है। उन्होंने कहा, 'मेरा काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरा कर दिया है। मैं मंत्री और विधायक बनने के मकसद से राजनीति में नहीं आया था’। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि जब जरूरत होगी, तब बिहार में बीजेपी अकेले चुनाव लड़ेगी।
क्या केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की राजनीतिक पारी अब समाप्त होने वाली है? क्या भारतीय जनता पार्टी के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह राजनीति से सन्यास लेने वाले है? क्या गिरिराज सिंह राजनीति को अलविदा कहने वाले है? क्या गिरिराज सिंह पालिटिक्स से पल्ला झाड़ने वाले हैं? क्या खत्म होने वाली है गिरिराज सिंह की राजनीतिक पारी या मिलने वाली है उन्हें कोई अतिरिक्त जिम्मेदारी?
गिरिराज सिंह को लेकर इतने सारे सवाल इसलिए क्योंकि उन्होंने एकबार फिर से बड़ा बयान दिया है, जिससे एक तरफ तो उनके राजनीति से संन्यास की अटकलें लगाई जाने लगी हैं, तो दूसरी तरफ उन्होंने बिहार में बने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को लेकर बीजेपी के स्टैंड को भी उजागर किया।
बिहार के मुजफ्फरपुर दौरे पर गिरिराज सिंह ने कहा कि उनकी राजनीतिक पारी अब खत्म होने वाली है। उन्होंने कहा, 'मेरा काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरा कर दिया है। मैं मंत्री और विधायक बनने के मकसद से राजनीति में नहीं आया था’। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि जब जरूरत होगी, तब बिहार में बीजेपी अकेले चुनाव लड़ेगी। गिरिराज सिंह ने यह भी कहा कि मेरे बारे में कौन क्या कहता है, यह मैं नहीं जानता हूं। मुझे जो कहना था वह मैंने ट्वीट के सहारे अपनी बात कह दी है।
दरअसल, गिरिराज सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर लगातार हमलावर हैं। इससे पहले भी उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र बेगूसराय के दौरे के कई वीडियो जारी किए, जिनमें यह दिखाने की कोशिश की गई कि बाढ़ प्रभावित लोगों के बीच ना केवल राहत सामग्री का वितरण नहीं किया जा रहा है बल्कि लोगों में काफी असंतोष है।
आपको बताते चलें कि गिरिराज के बयान पर जदयू की तीखी प्रतिक्रिया भी आई है। लेकिन गिरिराज के नीतीश सरकार पर लगातार हमलावर रहने पर नजर डालें तो उन्होंने एक बार इशारा भी किया था कि वो केंद्रीय नेतृत्व की मर्जी से ही बातें करते हैं। तो क्या केंद्रीय नेतृत्व से उन्हें हरी झंडी मिली है?
बिहार की राजनीति को करीब से जानने वाले बताते हैं कि बीजेपी ने बिहार में अकेले चुनाव में उतरने का मन बना लिया है। जिसको लेकर प्रदेश में होने वाले उपचुनाव और झारखंड विधानसभा चुनाव को लिटमस टेस्ट के तौर पर रखा गया है। लोकसभा चुनाव में सभी 17 की 17 सीटें जीतकर 100 प्रतिशत का रिजल्ट देने वाली बीजेपी लगातार यह कोशिश में है कि ऐसा संदेश न जाए कि वो गठबंधन तोड़ रहे हैं बल्कि जदयू कि तरफ से प्रतिक्रिया आए।
इसके अलावा अगले महीने जेडीयू और बीजेपी के रिश्तों की परख भी होने वाली है। मशहूर वकील राम जेठमलानी की मौत से राज्यसभा की रिक्त हुई सीट के लिए चुनाव होना है। जेठमलानी जब राज्यसभा के लिए चुने गए थे तब राज्य में जेडीयू-आरजेडी गठबंधन था और जेठमलानी आरजेडी उम्मीदवार के रूप में निर्वाचित हुए थे।
बीजेपी के नीतीश पर हमले की शुरूआत एमएलसी सच्चिदानंद राय से शुरु हुई थी। लेकिन धीरे-धीरे इसमें संजय पासवान, सीपी ठाकुर और गिरिराज सिंह के नाम भी शुमार हो गए। इसमें सबसे गौर करने वाली बात है कि बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने सारे मामलों पर चुप्पी साध रखी है।
राजनाथ सिंह भी बिहार दौरे पर भारतीय जनता पार्टी द्वारा आयोजित 'जन जागरण सभा' में आकर 370 का मुद्दा जोर-शोर से उठाते हैं। लेकिन गठबंधन पर कोई बयान देने से बचते नजर आते हैं। बहरहाल, नीतीश कुमार के आगामी विधानसभा चुनाव में 200 सीटों को पार करने के दावे और बीजेपी से मुख्यमंत्री पद के लिए उठ रही आवाजों के बीच दोनों दल के संबंध पर कैसा असर डालते हैं ये तो वक्त के साथ साफ हो जाएगा।
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