Corona Effect : देश के लाखों युवाओं के लिए खुशखबरी,अब गांवों में ही मिल सकेगा रोजगार,कृषि मंत्रालय योजना पर कर रहा है काम
देश के लाखों युवाओं के लिए खुशखबरी है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार उनको गांवों में ही रोजगार मुहैया कराने की योजना पर काम कर रही है। कोरोना वायरस और लॉकडाउन की वजह से सरकार का फोकस अब गांवों में ही रोजगार देने का है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस बाबात मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को अहम निर्देश भी दिए हैं।
देश के लाखों युवाओं के लिए खुशखबरी है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार उनको गांवों में ही रोजगार मुहैया कराने की योजना पर काम कर रही है। कोरोना वायरस और लॉकडाउन की वजह से सरकार का फोकस अब गांवों में ही रोजगार देने का है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस बाबात मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को अहम निर्देश भी दिए हैं।
कृषि मंत्री ने कहा है कि 1 लाख से अधिक गांवों में ऑर्गेनिक फसल उगाने को लेकर जागरूकता मिशन मोड में अभियान चलाया जाए। इन गांवों में मिट्टी की क्वालिटी अच्छी करने पर सबसे ज्यादा जोर दिया जाए। आदेश में कहा गया है कि हर खेत की मिट्टी की हेल्थ का रिकॉर्ड हो और कोई भी खेत छूटे नहीं।
कृषि मंत्रालय की इस योजना के तहत गांवों में 3000 मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाएं खोली जाएंगी। मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला खोलने के लिए कृषि की पढ़ाई किए युवा, स्वयं सहायता समूहों और को-ऑपरेटिव्स को तरजीह दी जाएगी। एक मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला खोलने का मतलब है कम से कम 3 लोगों को रोजगार मिलना है। यानी लगभग 9000 लोगों को गांवों में ही रोजगार दिया जाएगा।
कृषि मंत्रालय इसे लेकर हाल ही में एक बड़ी बैठक हुई है, जिसमें कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के अलावा कृषि राज्य मंत्री पुरषोत्तम रूपाला, कैलाश चौधरी और मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल मौजूद थे।
दरअसल, केंद्र सरकार चाहती है कि रासायनिक फर्टिलाइजर का मनमाना ढंग से प्रयोग रुके, ताकि मिट्टी में पोषकतत्वों की कमी ना हो और रासायनिक फर्टिलाइजर्स का बुरा असर मिट्टी की हेल्थ पर न पड़े। वहीं युवाओं को गांव में ही रोजगार मिल जाए उन्हें शहर की तरफ न भटकना पड़े। जिन युवाओं को मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला खोलना है वो कृषि महाविद्यालय ICAR के संस्थान और कृषि विज्ञान केंद्र और राज्य के सॉइल कंजर्वेशन विभाग से संपर्क में रहें।
खेत की मिट्टी की हेल्थ इंसानों की हेल्थ से सीधी जुड़ी हुई है। मिट्टी की क्वालिटी ठीक होने पर पैदावार भी बढ़ती है। इससे किसानों को भी पता चल सकेगा कि खेत में किस फर्टिलाइजर की जरूरत है और उनका खर्च भी बचेगा। लिहाजा, सरकार 2015 से सॉइल हेल्थ कार्ड योजना चला रही है, जिसमें खेतों की मिट्टी का परीक्षण मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला में होता है। हर दो साल में किसानों को मिट्टी परीक्षण की सलाह दी जाती है और सॉइल हेल्थ कार्ड अपडेट होता है।
अब तक करीब 11 करोड़ किसान अपना सॉइल हेल्थ कार्ड बनावा चुके हैं। लेकिन हर 2 साल में उसे अपडेट भी करने का काम चलता है। मिट्टी में पौधों के लिए बड़े पोषक तत्व नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटैशियम और सूक्ष्म पोषक तत्व जिंक, लौह, तांबा, मैंगनीज तथा बोरॉन की जरूरत होती है। मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाओं को ICAR और राज्य के कृषि महाविद्यालय और कृषि विज्ञान सेंटर से जोड़ दिया जाता है, ताकि खेतों की मिट्टी का रिकॉर्ड रखना जा सके।
Comments (0)